Pune Porsche accident कांड में नया मोड़ – रिहा किया गया नाबालिग ?
हाल ही में एक नाबालिग द्वारा हुए Pune Porsche accident की पूरे देशभर में चर्चा की जा रही हैं । बात है 19 मई की जिस रात एक 17 साल का नाबालिग पोर्शे कार में सवार नशे में धुत होकर गाड़ी को 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पुणे शहर में कल्याणी नगर पर 2 लोगो की जान ले लेता हैं । उसके बाद कोर्ट द्वारा उसे 300 शब्दो का निबंध लिखने और यातायात पुलिस की मदद करने का आदेश मिलता हैं ।
उसके बाद जब इस Pune Porsche accident कांड की देशभर में चर्चा होती हैं तो फिर से उसे गिरफ्तार कर लिया जाता हैं और उसे रिमांड घर भेज दिया जाता हैं और उसके बाद किशोर न्याय अधिनियम के तहत लड़के के पिता और दादा को भी जेल भेज दिया जाता हैं, ड्राइवर को रिश्वत देने के आरोप में और मां को भी पकड़ लिया जाता हैं, रक्त नमूना में फेर बदल करने के कारण ।
बुआ और वकील की बंबई उच्च न्यायालय से अर्जी
उसके बाद बुआ और वकील बंबई उच्च न्यायालय से निवेदन करते हैं की एक नाबालिक को किशोर न्याय बोर्ड द्वारा गैर कानूनी तरीके से रिमांड घर में रखा जा रहा हैं जबकि 35 दिन रिहाई को हो चुके हैं ।
उसके बाद Pune Porsche accident के दोषी पक्ष के वकील ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Petition) लगाई जिसमे होता है यदि किसी इंसान को गैर कानूनी तरीके से रिमांड घर में रोका जा रहा हैं या रोकना पड़ रहा हैं तो पहले उसकी जमानत रद्द करवाओ ।
किशोर न्याय Section 39(2) के तहत आप किसी भी व्यक्ति को जमानत मिलने के बाद रिमांड घर में नहीं रख सकते ।
17-year-old Vedant Agarwal had been drinking at the pub and later killed two people by his overspread Porsche.
The Bombay High Court, today, granted bail to the juvenile accused in the Pune Porsche car accident case
Indian judiciary system is a joke. pic.twitter.com/FETui5iYuu
— Sumit (@SumitHansd) June 25, 2024
पुणे पुलिस वकील का बयान
लड़के को रिमांड घर के सिलसिले को लेकर पुणे पुलिस के वकील कहते हैं बाहर के आसार देखते हुए लड़के की जान को खतरा था इसलिए हमने लडके को रिमांड घर में रखा हुआ था, अगर हम लड़के को जमानत दे देते तो लड़के को भीड़ मार डालती ।
बंबई उच्च न्यायालय की गुहार
Pune Porsche accident case के चलते हाल ही में कुल मिलाकर बोम्बे हाई कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका स्वीकार कर ली हैं और बयान देते हुए कहा हैं अगर लड़के को जमानत मिलने पर भी अंदर रखा जा रहा हैं तो वह बेहद गलत हैं उसे तुंरत रिहा किया जाए और साथ ही में हिरासत में रखने का नियम बिल्कुल ही गैर कानूनी हैं और लड़के की जिम्मेदारी उसकी बुआ को सौपी जाए ।
बंबई उच्च न्यायालय के तहत अगर कोई नबालिग जुर्म करता हैं तो उसके साथ बालिग की तरह पेश आना बिल्कुल ही गलत होगा ।
साथ ही में बंबई उच्च न्यायालय ने यह भी कहा की वो मानते है लड़के ने 2 लोगों की जान ली हैं पर आप किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर सकते ।
किशोर न्याय अधिनियम के हिसाब से लड़के को रिमांड घर में रखने की कोई जरूरत नहीं बल्की बाहर उनकी परामर्श सेवा का प्रबंधन किया जाएगा । हालांकि लड़के के माता – पिता और दादा अभी भी जेल में कैद हैं ।
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