Mpox : दुनिया कॉरोना काल के प्रकोप से उभर ही रही थी, की अब एक बार फिर मानव जन पर नई बीमारी का खतरा मंडराने लगा है जो की है Monkeypox, जिसे Mpox के नाम से भी जाना जाता है।
इस बीमारी की शुरुआत हुई दक्षिण अफ्रीका से। लेकिन अब यूरोप में भी इस से प्रभावित लोग पाए गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बीमारी को जल्द ही ग्लोबल पैंडेमिक भी घोषित किया जा सकता है। Mpox एक वायरस इन्फेक्शन है।
Mpox का इतिहास
Mpox का पता सबसे पहले पता साल 1958 में लगा था। लेकिन साल 1970 में पहली बार इस से प्रभावित केस सामने आया। यह बीमारी कहीं न कहीं स्नॉलपॉक्स की तरह ही होती है।
लभभग 116 देशों को Mpox ने प्रभावित किया है। अब यह वायरस पाकिस्तान तक भी पहुंच चुका है। पाकिस्तान में भी इस वायरस का एक केस सामने आया है, जिसके बाद से लोगों के डर का माहोल बना हुआ है।
केवल अफ्रीका में ही इस वायरस के इसी साल में लभभग 14 हजार केस दर्ज किए जा चुके हैं। इतना ही नही इस वायरस को चपेट में आकर 524 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
आपको बता दें की Mpox का संबंध उसी ऑर्थोपॉक्स वायरस परिवार से है, जिस से अन्य पॉक्स वायरस का संबध भी है।
लक्षण
Mpox के लक्षणों की बात करें तो इस वायरस के लक्षण सामान्य से लेकर गंभीर भी हो सकते हैं। जैसे बुखार होना, सिरदर्द, त्वचा पर दाने या फुंसियां होना, मासपेशियों में दर्द, थकान इत्यादि। Mpox वायरस होने के 21 दिनों में ही इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं।
कम प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को इस वायरस का खतरा अधिक रहता है। इतना ही नहीं कई लोगों में rectum में सूजन जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। इसके अलावा पेशाब करने में भी कठिनाई हो सकती है।
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बचाव
आपको बता दें की यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति और जानवर, किसी के भी संपर्क में आने से हो सकती है।
इस वायरस से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें। उसके संपर्क में आने के समय कुछ विशेष सावधानियां रखें। इस वायरस का संक्रमण विशेषकर संक्रमित व्यक्ति के दानों या फुंसियों यानी घाव या मुंह या प्राइवेट पार्ट के संपर्क में आने से भी फैल जाता है।
इसलिए संक्रमित व्यक्ति से कुछ दूरी बनाकर ही बातचीत करें। इतना ही नहीं मरीज से शारीरिक संबंध भी अवॉइड करें। मुंह से त्वचा का संपर्क भी न होने दें।
इसके अलावा यह वायरस संक्रमित जानवर के कट लेने से भी फैलता है।
Mpox की रोकथाम की लिए भी कुछ उपाय बता गए है। जैसे मरीज के कॉन्टेक्ट में आने पर 4 दिन के अंदर ही टिका लगवा लें। अपनी इम्यूनिटी को मजबूत रखें। मरीज के घाव यानी दाने फुंसी को ठीक करने पर विशेष ध्यान दें।