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STSS : Corona के बाद आई एक और जानलेवा बीमारी! खा जाती है इंसान का मांस। 200 के करीब हो चुकी हैं मौत ! Japan latest news. STSS Japan 2024

STSS (Streptococcal toxic shock syndrome)

STSS in Japan:

STSS तेजी से जापान में अपने पांव पसार रहा है। इस बैक्टीरिया को मांस खाने वाला बैक्टेरिया का भी नाम दिया गया है। इस बैक्टीरिया को इतना खतरनाक बताया गया है की यह 2 दिन के अंदर ही इंसान की जान ले सकता है।

STSS रिपोर्ट्स :

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फेक्शन द्वारा इस बैक्टीरिया की जांच साल 1999 से की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक 2 जून तक इस बीमारी के कुल 977 केस सामने आ चुके हैं। जबकि पिछले साल तक इसके केस 941 थे। इस बीमारी का मृत्यु दर 30 प्रतिसत बताया गया है । इस बीमारी से January से लेकर मार्च तक कुल 77 मौत हो चुकी हैं जबकि पिछले साल 97 मौत हुई थी। हालांकि इस बीमारी के संकर्मण के चांस कम बताए जा रहे हैं।

STSS symptoms:

बीमारी के लक्षण काफी सामान्य हैं। जैसे शरीर में सूजन आना, बच्चों के गले में खराश, हाथ पैरों में दर्द होना, लो ब्लड प्रेशर, बुखार होना आदि। इसके साथ ही मल्टीपल organ फेलियर भी इस बैक्टीरिया के शरीर में मौजूद होने के लक्षण बताए जा रहे हैं। शुरुआती दौर में उल्टी जैसे लक्षण भी हो skte हैं। STSS एक बैक्टेरियल इन्फेक्शन है जो खून में फैल जाता है। यह बैक्टीरिया इतनी तेजी से शरीर में फैलता है की मात्र 48 घंटे यानी 2 दिन से ही इंसान की मौत हो जाती है।

STSS के बचाव:

STSS streptococcus bacteria द्वारा होने वाली एक गंभीर बीमारी है। जो शरीर में काफी तेजी से फैलती है। रिपोर्ट के मुताबिक यह शरीर के उत्तकों में फैल जाता है और विषयक पदार्थ छोड़ते हैं। इस बीमारी का खतरा 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगो मे अधिक बताया जा रहा है। हालांकि इस बीमारी से बचाव के तरीके भी बता दिए गए हैं, जो इस प्रकार हैं,
• साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना।
• बाहर से आने के बाद हाथ पैर अच्छे से धोना।
• खाना खाने से पहले अच्छे से हाथ धोना।
• बार बार चेहरे को न छूना।
• घावों का खयाल रखना और उनको साफ रखना।
•खांसते और छींकते वक्त मुंह को ढकना।
इन आदतों को अपनाकर हम इस बीमारी के संकर्मन को रोक सकते हैं।

STSS का इलाज:

STSS का इलाज किया जा सकता है, अगर समय से इसकी रोकथाम की जाए तो। अगर आपको इस बीमारी के लक्षण दिखने शुरू हुए, तभी जल्द ही डॉक्टर को दिखाएं। इस बीमारी का इलाज antibiotics से किया जाता है।

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